पुनीत राजकुमार का 29 अक्टूबर को निधन हुआ था। इस कन्नड़ सिनेमा के पावर स्टार की आज 51वीं पुण्यतिथि है, जो रियल लाइफ हीरो थे। उन्हें लोग आज भी उनके नेक कामों के लिए याद करते हैं।
पावर स्टार पुनीत राजकुमार अपने असामयिक निधन के वर्षों बाद भी लोगों के दिलों में जिंदा हैं। पुनीत राजकुमार साउथ के एक मशहूर अभिनेता थे, जिनका 29 अक्टूबर, 2021 को 46 वर्ष की उम्र में निधन हो गया था। पुनीत की मौत हार्ट अटैक से हुई थी। इस दुख खबर ने सभी को हिलाकर रख दिया था, जिसके बाद सरकार ने पूरे बेंगलुरु शहर में धारा 144 लगा दी और शराब की बिक्री दो दिन के लिए रोक दी थी। आज वह भले हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन वे अपने नेक काम के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने जितना नेम-फेम अपने एक्टिंग करियर से हासिल किया, उससे ज्यादा सुर्खियों वह अपनी दरियादिली के लिए बटोर चुके।
26 अनाथाश्रम और 46 फ्री स्कूल चलाता था ये एक्टर
पुनीत कन्नड़ के हाईएस्ट पेड एक्टर भी थे, जिनकी 14 फिल्में लगातार 100 दिनों तक थिएटर में लगी रहीं। एक्टर रियल लाइफ में किसी फरिश्ता से कम नहीं थे। वे समाज सेवा करने के लिए हमेशा तैयार रहते थे। पुनीत राजकुमार 26 अनाथ आश्रम और गरीब बच्चों के लिए 46 फ्री स्कूल चलाते थे। इतना ही नहीं 2019 में उत्तरी कर्नाटक में जब बाढ़ आई थी तो उस कठिन समय में लोगों की मदद के लिए सबसे पहले पुनीत राजकुमार ने हाथ बढ़ाया था। वहीं दूसरी बार, कोरोना महामारी में उन्होंने 50 लाख रुपए कर्नाटक सरकार के रिलीफ फंड में दिए थे। बात दें कि पुनीत 46 फ्री स्कूल, 26 अनाथ आश्रम, 16 वृद्धाश्रम और 19 गौशाला का संचालन करते थे।
जाने से पहले छोड़ गए इंसानियत की मिसाल
पुनीत ने अपनी आंखें दान की थीं। उनके मरने के बाद पूरे कर्नाटक में 1 लाख लोगों ने अपनी आंखें दान की थी। उन्होंने फिल्म ‘प्रेमदा कनिके’ से अपने फिल्मी करियर की शुरूआत की थी। कई फिल्मों में उन्होंने चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर भी काम किया था।
10 साल की उम्र में मिला पहला अवॉर्ड
पुनीत राजकुमार ने 10 साल की उम्र में बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल की थी, उन्हें नेशनल अवॉर्ड से नवाजा गया था। ये अवॉर्ड उन्हें फिल्म ‘बेट्टदा हूवु’ के लिए मिला था। इसमें वो बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट नजर आए थे। साथ ही फिल्म को बेस्ट कन्नड़ फिल्म का नेशनल अवॉर्ड, तीन फिल्मफेयर अवॉर्ड साउथ और दो कर्नाटक स्टेट फिल्म अवॉर्ड मिला था। स्वर्गीय सुपरस्टार पुनीत के पिता राजकुमार कन्नड़ के पहले ऐसे एक्टर थे, जिन्हें दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड से नवाजा गया था।
