रेलयात्री लंबे समय से कंबल और उसकी सफाई को लेकर लगातार शिकायतें करते रहे हैं। यह कदम रेलवे के यात्री सेवा सुधार के दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।
रेलयात्रियों को अब AC कोच में उनकी यात्रा के दौरान और भी बेहतर सुविधा मिलेगी, क्योंकि भारतीय रेल ने कंबल के साथ कवर देने की योजना शुरू की है। रेल मंत्री ने गुरुवार को इस बात की जानकारी दी। रेल मंत्री अश्विणी वैष्णव ने इस पहल की शुरुआत पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर जयपुर से की है। इस नई सुविधा का उद्देश्य यात्रियों को यात्रा के दौरान अधिक आराम और सुरक्षा प्रदान करना है। यह कदम रेलवे के यात्री सेवा सुधार के दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। रेलयात्री लंबे समय से कंबल और उसकी सफाई को लेकर लगातार शिकायतें करते रहे हैं। रेलवे ने अब इसका संज्ञान लेते हुए यह पहल की है।
जयपुर में एक ट्रेन से हुई शुरुआत
रेल मंत्री अश्विणी वैष्णव ने कहा कि रेलवे की तरफ से एक नया प्रयास शुरू हुआ है। हमारे रेलवे सिस्टम में कंबल का उपयोग वर्षों से होता आ रहा है, लेकिन हमारे यात्रियों के मन में कंबल को लेकर हमेशा एक संशय रहता था। उस संशय को दूर करने के लिए आज एक नई पहल की गई है- कंबल के कवर की शुरुआत। जैसा कि हम अपने घर में कंबल का इस्तेमाल करते हैं तो हम हमेशा कंबल का एक कवर भी रखते हैं। इसलिए कंबल के कवर की व्यवस्था आज जयपुर में एक ट्रेन में शुरू की गई है।
रेल मंत्री ने कहा कि बहुत ध्यान रखा गया है कि एक बार यह प्रयोग सफल हो तो फिर हम देशभर में इसे आगे फैलाया जाए। यह एक अच्छी शुरुआत है। जैसा इसका रिजल्ट आएगा, जैसा इसका अनुभव आएगा,उस आधार पर इसको आगे अमल में लाया जाएगा। रेलमंत्री ने राजस्थान के खातीपुरा जयपुर रेलवे स्टेशन पर जयपुर-असारवा रेल सेवा के वातानुकूलित डिब्बों में कंबल कवर की सुविधा का उद्घाटन किया।
छोटे स्टेशनों पर भी सुविधाओं में सुधार हुआ
इस मौके पर उन्होंने कहा कि छोटे स्टेशनों पर भी सुविधाओं में सुधार हुआ है। प्लेटफ़ॉर्म की ऊंचाई, लंबाई और प्लेटफ़ॉर्म पर कवर का निर्माण। यात्रियों की जानकारी के लिए साइनबोर्ड लगाए जा रहे हैं। राजस्थान के लगभग 65 स्टेशनों पर ये सुविधाएं लागू की जा चुकी हैं। रेलवे का विकास कई आयामों में हो रहा है। नई तरह की ट्रेनें, नए स्टेशन बनाना, नई पटरियां बिछाना, विद्युतीकरण पूरा करना, नए रखरखाव डिपो बनाना। लेकिन मुख्य बात यह है कि यात्रियों के जीवन में बदलाव आए।