सोने के बाद अब निवेशकों की नजर चांदी पर टिकी है। 2025 में चांदी का मार्केट काफी तेजी से बढ़ा है और इसे लेकर निवेशकों में उत्सुकता बढ़ी है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह समय चांदी में निवेश का सही समय है और भारतीय निवेशकों को किस तरह की रणनीति अपनानी चाहिए।
2025 में भारतीय निवेशक एक बार फिर सोने और चांदी की ओर नजरें गड़ाए हुए हैं। जबकि पारंपरिक रूप से सोना निवेशकों की पहली पसंद रहा है, अब चांदी का ट्रेंड बढ़ता नजर आ रहा है। सवाल यह उठता है कि क्या चांदी में निवेश 2025 में भी लाभकारी रहेगा और निवेशकों को किस तरह की रणनीति अपनानी चाहिए।
विशेषज्ञों के अनुसार, चांदी का मूल्य सोने के मुकाबले अधिक उतार-चढ़ाव वाला होता है। इसका मतलब यह है कि अगर सही समय और सही रणनीति के साथ निवेश किया जाए तो निवेशक अच्छा रिटर्न पा सकते हैं। वर्तमान समय में ग्लोबल मांग, तकनीकी उपकरणों में चांदी की बढ़ती उपयोगिता और औद्योगिक मांग के कारण चांदी की कीमतों में संभावित बढ़ोतरी देखी जा सकती है।
क्या करें निवेशक?
भारतीय निवेशकों के लिए सबसे पहली बात यह है कि उन्हें चांदी में निवेश करते समय अपने रिस्क का ध्यान रखना चाहिए। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि चांदी को सिर्फ लंबी अवधि के लिए निवेशित करें और इसे छोटे हिस्सों में खरीदा जाए। इससे कीमतों में उतार-चढ़ाव का जोखिम कम हो जाता है। इसके अलावा, निवेशक अब केवल सिल्वर कॉइन या बार में ही नहीं बल्कि इलेक्ट्रॉनिक रूप में यानी ई-सिल्वर और चांदी आधारित म्यूचुअल फंड्स या ETFs में भी निवेश कर सकते हैं। इन डिजिटल विकल्पों में निवेश से भौतिक चांदी रखने की परेशानी और चोरी का खतरा भी कम हो जाता है।
क्यों इतना बढ़ी चांदी की कीमत
चांदी की कीमतों पर प्रभाव डालने वाले प्रमुख कारक हैं- अंतरराष्ट्रीय बाजार में चांदी की मांग, डॉलर की मजबूती, वैश्विक आर्थिक नीतियां और केंद्रीय बैंकों की क्रय-नीति। इन सभी को ध्यान में रखते हुए निवेशक अपनी रणनीति तैयार कर सकते हैं। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि 2025 में चांदी निवेश के लिए धैर्य और संतुलन जरूरी है। यह न केवल एक सुरक्षित इन्वेस्टमेंट ऑप्शन हो सकता है, बल्कि लंबी अवधि में पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफाई और सुरक्षा प्रदान करता है। निवेशक छोटे-छोटे हिस्सों में निवेश करें, डिजिटल ऑप्शन का इस्तेमाल करें और ग्लोबल बाजार की खबरों पर नजर रखें।
