कई प्रमुख केबल नेटवर्क प्रभावित हुए हैं, जिनमें भारत की टाटा कम्युनिकेशंस द्वारा संचालित SMW4 और IMEWE जैसे महत्वपूर्ण केबल भी शामिल हैं। इन केबलों के कटने से भारत, पाकिस्तान और आसपास के कई देशों में इंटरनेट की गति धीमी हो गई है।
लाल सागर के नीचे बिछी फाइबर ऑप्टिक केबल्स के कटने से एशिया और मिडिल ईस्ट के कई देशों में इंटरनेट सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। यह जानकारी बीते रविवार को इंटरनेट मॉनिटरिंग संस्था NetBlocks और विभिन्न तकनीकी विशेषज्ञों ने दी। हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि यह घटना किसी तकनीकी खराबी के कारण हुई है या इसके पीछे जानबूझकर की गई तोड़फोड़ है। क्षेत्र में जारी सैन्य संघर्षों को देखते हुए साजिश की आशंका भी जताई जा रही है, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हुई है।
किन केबल्स पर पड़ा असर?
AP की खबर के मुताबिक, इस घटना से कई प्रमुख केबल नेटवर्क प्रभावित हुए हैं। इनमें भारत की टाटा कम्युनिकेशंस द्वारा संचालित SMW4 (South East Asia–Middle East–Western Europe 4) और IMEWE (India-Middle East-Western Europe) जैसे महत्वपूर्ण केबल शामिल हैं। इन केबलों के माध्यम से ही दुनिया भर का 95% से ज़्यादा इंटरनेट ट्रैफिक संचालित होता है। NetBlocks ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि इन केबलों के कटने से भारत, पाकिस्तान और आसपास के कई देशों में इंटरनेट की गति धीमी हो गई है। माइक्रोसॉफ्ट ने भी अपनी सर्विस स्टेटस पेज पर इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि मिडिल ईस्ट क्षेत्र में अंडरसी फाइबर कट के कारण इंटरनेट की लेटेंसी (गति में देरी) बढ़ सकती है, लेकिन इसका असर इस क्षेत्र के बाहर नहीं हुआ है।
कौन से देश हुए प्रभावित?
पाकिस्तान: पाकिस्तान टेलीकॉम्यूनिकेशंस लिमिटेड (PTCL) ने पुष्टि की है कि अंडरसी केबल्स में खराबी के कारण उनके देश में इंटरनेट सेवाएं बाधित हुई हैं।
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई): वहां की सरकारी टेलीकॉम कंपनियों Du और Etisalat के उपभोक्ताओं ने इंटरनेट स्पीड में गिरावट की शिकायतें दर्ज कराई हैं।
कुवैत: स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि FALCON GCX केबल के क्षतिग्रस्त होने से वहाँ भी नेटवर्क बाधित हुआ है।
मरम्मत में लग सकता है समय
AP की खबर के मुताबिक, समुद्र के नीचे बिछी ये केबल्स बेहद संवेदनशील होती हैं और अक्सर जहाजों के एंकर या प्राकृतिक आपदाओं से क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। इन केबलों की मरम्मत में कई हफ्ते लग सकते हैं और इसके लिए विशेष जहाजों और विशेषज्ञों की मदद ली जाती है।
क्या है हूती विद्रोहियों की भूमिका?
यमन में सक्रिय ईरान समर्थित हूती विद्रोही पिछले एक साल से लाल सागर में जहाजों पर हमले कर रहे हैं। इन हमलों में अब तक 4 जहाज़ डूब चुके हैं और कई नाविकों की जान गई है। हालाँकि, हूती विद्रोहियों ने अंडरसी केबल्स को नुकसान पहुँचाने के आरोपों से इनकार किया है। उनकी सैटेलाइट चैनल अल-मसीराह ने NetBlocks की रिपोर्ट को ज़रूर साझा किया, लेकिन घटना की ज़िम्मेदारी नहीं ली।
दूसरी ओर, यमन की अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सरकार ने इस घटना के लिए हूती विद्रोहियों को ज़िम्मेदार ठहराया है। यमन के सूचना मंत्री, मोअम्मर अल-एरयानी ने इसे पूरी दुनिया के लिए एक चेतावनी बताया और कहा कि डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की सुरक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को कड़े कदम उठाने चाहिए। यह घटना वैश्विक स्तर पर डिजिटल सिक्योरिटी, इंटरनेट इंफ्रास्ट्रक्चर और साइबर वॉरफेयर को लेकर गंभीर चिंताएँ पैदा कर रही है।