तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि तलाकशुदा मुस्लिम महिला को दिया गया दहेज वापस पाने का अधिकार है।
नई दिल्ली: तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बड़ा फैसला सुनाया और कहा कि तलाकशुदा मुस्लिम महिला, विवाह के समय अपने माता-पिता द्वारा उसे या उसके पति को दी गई नकदी, सोना और अन्य वस्तुएं कानूनी रूप से वापस पाने की हकदार है। कोर्ट ने ये भी कहा कि ऐसी वस्तुओं को महिला की संपत्ति माना जाना चाहिए और जब विवाह खत्म हो जाए यानी तलाक हो जाए तो उसे वापस कर देना चाहिए।
पीठ ने क्या कहा?
न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 1986 के प्रावधानों की व्याख्या इस तरह से की जानी चाहिए कि समानता और स्वायत्तता का संवैधानिक वादा पूरा हो, न कि इसे विशुद्ध रूप से नागरिक विवाद के नजरिए से देखा जाए।
पीठ ने कहा कि इस अधिनियम के निर्माण में समानता, सम्मान और स्वायत्तता को सर्वोपरि रखना होगा। ये भी कहा गया कि इसे महिलाओं के अनुभवों के आलोक में किया जाना चाहिए, जहां विशेष रूप से छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में पितृसत्तात्मक भेदभाव अभी भी आम बात है।
पीठ ने कहा कि भारत का संविधान सभी के लिए एक आकांक्षा, यानी समानता, निर्धारित करता है, जो स्पष्ट रूप से अभी तक हासिल नहीं हुई है। इस दिशा में अपना योगदान देते हुए, न्यायालयों को सामाजिक न्याय के निर्णयों पर आधारित तर्क देना चाहिए। 1986 के अधिनियम की धारा 3 का उल्लेख है, जो स्पष्ट रूप से तलाकशुदा मुस्लिम महिला को उसके रिश्तेदारों या दोस्तों या पति या पति के किसी रिश्तेदार या उसके दोस्तों द्वारा शादी से पहले या शादी के समय या शादी के बाद दी गई सभी संपत्तियों का हकदार बनाती हैं।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं के हकों की रक्षा करने में प्रभावी भूमिका निभाएगा।
