मधेपुरा, बिहार |
थाना क्षेत्र अंतर्गत रातबारा गांव बातनहा (पोस्ट किसनपुर, अंचल आलमनगर) के रहने वाले चंदन सिंह इन दिनों गहरे सदमे और अन्याय के बीच जिंदगी जीने को मजबूर हैं। चंदन सिंह का कहना है कि वह पिछले 20 वर्षों से अपने पुश्तैनी जमीन पर एक छोटे से घर में परिवार सहित शांति से जीवन यापन कर रहे थे, लेकिन हाल ही में सीओ साहब द्वारा उनके मकान को बिना किसी वैधानिक सूचना और नोटिस के बुलडोजर चलाकर गिरा दिया गया।
“हमारा घर उजाड़ दिया गया, अब हमारे पास रहने के लिए जगह नहीं है” – चंदन सिंह
चंदन सिंह ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि वह गरीब किसान हैं और कड़ी मेहनत और वर्षों की बचत से उन्होंने अपने लिए एक छोटा सा मकान खड़ा किया था। अब न केवल उनका घर टूटा, बल्कि उनका सारा सामान भी नष्ट हो गया। घर के साथ उनका सपना भी टूट गया। उन्होंने बताया कि ना तो उन्हें कोई लिखित आदेश दिखाया गया, ना कोई सुनवाई दी गई, बस अचानक जेसीबी लेकर लोग आए और मकान को ध्वस्त कर दिया।
“हम इंसान नहीं, जानवर भी होते तो शायद इतनी बेरहमी न होती”
पीड़ित परिवार ने सवाल उठाया है कि क्या गरीब होना गुनाह है? क्या प्रशासन को यह अधिकार है कि वह बिना कानूनी प्रक्रिया का पालन किए किसी का आशियाना उजाड़ दे? चंदन सिंह की पत्नी और बच्चों की आंखों में डर, बेबसी और गुस्सा साफ झलक रहा था। बच्चे खुले आसमान के नीचे रात बिताने को मजबूर हैं।
डीएम और मुख्यमंत्री से लगाई गुहार, की मुआवजा और पुनर्वास की मांग
चंदन सिंह ने मीडिया के माध्यम से जिलाधिकारी मधेपुरा, जिला पुलिस प्रशासन और मुख्यमंत्री बिहार से अपील की है कि इस अन्याय की उच्चस्तरीय जांच करवाई जाए, दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो, और उन्हें दोबारा बसाया जाए। उन्होंने यह भी मांग की कि उनका टूटा हुआ सामान, घर के छप्पर, खटिया, बर्तन आदि का भी मुआवजा दिलाया जाए।
उन्होंने भावुक होकर कहा – “अगर प्रशासन हमारा घर तोड़ सकता है, तो उसे हमें रहने के लिए दूसरा घर भी देना चाहिए। वरना हम परिवार सहित डीएम कार्यालय के सामने धरने पर बैठें।”