गिद्धौर. बिहार सरकार के शिक्षा विभाग का ऑटोनॉमस ऑर्गनाइजेशन बीबॉस मैट्रिक इंटर फेल परीक्षार्थियों के लिए बेहतर विकल्प के रूप में उभर रहा है. बिहार बोर्ड ऑफ ओपन स्कूलिंग एंड एग्जामिनेशन बीबाॅस को आइसीएसई एवं सीबीएसई बोर्ड के समतुल्य मान्यता प्रदान की गयी है. मान्यता प्राप्त तकनीकी शिक्षण संस्थानों सहित सभी विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए यह वैध है. उक्त आशय की जानकारी गिद्धौर महाराज चंद्र चूड़ विद्या मंदिर में संचालित बिबॉस केंद्र के उप समन्वयक कृष्णकांत झा ने बताया कि जिन छात्र-छात्राओं की वर्षों से पढ़ाई छूटी हुई है. बीबॉस से इच्छुक शिक्षार्थी मैट्रिक इंटर कर सकते हैं. इसके लिए बोर्ड ने निर्धारित शुल्क भुगतान कर संबंधित संकायों में विद्यार्थियों को नामांकन लेने की स्वतंत्रता है. ऐसे अभ्यर्थी जो किसी भी मान्यता प्राप्त बोर्ड आइसीएसई, सीबीएसई, स्टेट बोर्ड की परीक्षा में फेल हो गये हों, या रिजल्ट से असंतुष्ट हों और कम से कम एक विषय में उत्तीर्ण हो वैसे छात्र छात्राओं का नामांकन एवं पंजीयन फॉर्म भरवाया जा रहा है, जिसकी परीक्षा जून या जुलाई माह में होगी. इसमें उसी विषय का परीक्षा देना होता है, जिसमें परीक्षार्थी फेल है या कम अंक उन्हें प्राप्त हुआ है. श्री झा ने आगे बताया कि बिहार में तकरीबन दो से तीन लाख विद्यार्थियों की बढ़ोतरी बोर्ड लेवल पर होती है, ऐसे में इस बार फेल होने वाले परीक्षार्थियों की संख्या साढ़े 04 लाख है. वहीं किसी अन्य कारणों से स्कूल छोड़ देने वाले विद्यार्थियों के लिए सरकार ने, बीबाॅस”””” की व्यवस्था की है. इस बिबॉस बोर्ड में सालों भर नामांकन का प्रावधान है. गिद्धौर स्थित महाराज चंद्र चूड़ विद्या मंदिर इसका मुख्य अध्ययन केन्द्र है, जहां इच्छुक छात्र छात्राएं 30 अप्रैल तक अपना नामांकन ले जून की परीक्षा में शामिल होकर अपना परीक्षा रिजल्ट प्राप्त कर भविष्य संवार सकते हैं. उप समन्वयक के के झा ने बताया कि वर्तमान शैक्षणिक परिदृश्य में समय और साल बचाने के लिए बीबाॅस का दूसरा कोई विकल्प नहीं है.
बिहार सरकार के शिक्षा विभाग का ऑटोनॉमस ऑर्गनाइजेशन बीबॉस मैट्रिक इंटर फेल परीक्षार्थियों के लिए बेहतर विकल्प के रूप में उभर रहा है.
