फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी ने ‘फरीदाबाद मॉड्यूल’ केस में हिरासत में लिए गए डॉक्टरों से किसी भी संबंध से इनकार किया है। यूनिवर्सिटी ने सभी आरोपों को झूठा और मानहानिकारक बताया। कुलपति ने कहा कि कैंपस में कोई गैरकानूनी गतिविधि नहीं होती और सभी लैब केवल मेडिकल ट्रेनिंग के लिए इस्तेमाल होती हैं।
फरीदाबाद: हरियाणा में स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी ने फरीदाबाद मॉड्यूल केस में हिरासत में लिए गए डॉक्टरों से किसी भी तरह का ताल्लुक होने से साफ इनकार किया है। यूनिवर्सिटी ने भ्रामक रिपोर्ट्स की कड़ी निंदा की और आरोपों को बेबुनियाद व मानहानिकारक बताया। कुलपति प्रोफेसर डॉक्टर भूपिंदर कौर आनंद ने कहा कि कैंपस की लैब में कोई केमिकल या गैर-कानूनी सामग्री इस्तेमाल नहीं होती। उन्होंने साफ किया कि यूनिवर्सिटी की लैब सिर्फ MBBS ट्रेनिंग के मकसद से इस्तेमाल होती हैं। अल-फलाह ग्रुप ने इस घटना पर गहरी हैरानी जताई और मीडिया से जिम्मेदार रिपोर्टिंग की अपील की।
यूनिवर्सिटी से जुड़े 2 डॉक्टर हिरासत में
कुलपति आनंद ने आधिकारिक बयान जारी कर यूनिवर्सिटी का पक्ष रखते हुए एक बयान में कहा कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी 2014 से एक मान्यता प्राप्त निजी विश्वविद्यालय के रूप में काम कर रही है और इसका मेडिकल कॉलेज 2019 से MBBS छात्रों को ट्रेनिंग दे रहा है। यूनिवर्सिटी ने हाल की घटनाओं पर गहरा दुख जताया तथा प्रभावित लोगों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की। बयान में साफ किया गया कि जांच एजेंसियों ने यूनिवर्सिटी से जुड़े 2 डॉक्टरों को हिरासत में लिया है, लेकिन यूनिवर्सिटी का इन व्यक्तियों से कोई संबंध नहीं है सिवाय उनके आधिकारिक कर्तव्यों के।
‘लैब में नैतिक मानकों का होता है पालन’
यूनिवर्सिटी ने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर चल रही उन रिपोर्ट्स का खंडन किया जिनमें कैंपस की सुविधाओं के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया था। बयान में कहा गया कि कैंपस में कोई ऐसी केमिकल या सामग्री इस्तेमाल, रखी या संभाली नहीं जाती जैसा कि कुछ प्लेटफॉर्म्स दावा कर रहे हैं। बयान में कहा गया है कि सभी लैब गतिविधियां MBBS और अन्य अधिकृत कोर्स के लिए सख्त नियामक सुरक्षा व नैतिक मानकों के तहत ही की जाती हैं। यूनिवर्सिटी ने कुछ मीडिया संस्थानों पर झूठी और मानहानिकारक खबरें फैलाकर उसकी साख को नुकसान पहुंचाने का इल्ज़ाम लगाया। अल-फलाह ग्रुप ने भी समाज में गलतफहमी पैदा करने वाली ऐसी खबरों से बचने की अपील की।
जांच के दायरे में आ गई थी यूनिवर्सिटी
बता दें कि हरियाणा के फरीदाबाद जिले में मुस्लिम बहुल धौज गांव के पास फैले 76 एकड़ के विशाल कैंपस में स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी जांच के दायरे में आ गई है। दिल्ली में लाल किले के पास हुए भयानक धमाके और 3 डॉक्टरों की गिरफ्तारी के बाद यूनिवर्सिटी पर सवाल उठ रहे हैं। ये डॉक्टर ‘व्हाइट-कॉलर टेरर मॉड्यूल’ से जुड़े बताए जा रहे हैं। यूनिवर्सिटी की वेबसाइट के मुताबिक, इसे हरियाणा विधानसभा ने हरियाणा प्राइवेट यूनिवर्सिटी एक्ट के तहत स्थापित किया था। यह 1997 में इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में शुरू हुई थी। साल 2013 में अल-फलाह इंजीनियरिंग कॉलेज को UGC की नेशनल असेसमेंट एंड एक्रीडिटेशन काउंसिल से ‘ए’ कैटेगरी मान्यता मिली। 2014 में हरियाणा सरकार ने इसे यूनिवर्सिटी का दर्जा दे दिया। अल-फलाह मेडिकल कॉलेज भी इसी यूनिवर्सिटी से संबद्ध है।
AMU और जामिया का विकल्प बनकर उभरी थी
कई एक्सपर्ट्स के अनुसार, शुरुआती वर्षों में अल-फलाह यूनिवर्सिटी अल्पसंख्यक छात्रों के लिए अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और जामिया मिलिया इस्लामिया का बेहतरीन विकल्प बनकर उभरी। दिल्ली की जामिया मिलिया इस्लामिया से महज 30 किलोमीटर दूर स्थित यह यूनिवर्सिटी अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा संचालित है, जिसकी स्थापना 1995 में हुई थी। ट्रस्ट के चेयरमैन जावेद अहमद सिद्दीकी, वाइस-चेयरमैन मुफ्ती अब्दुल्लाह कासिमी एमए और सेक्रेटरी मोहम्मद वाजिद डीएमई हैं। यूनिवर्सिटी में 650 बेड का एक छोटा अस्पताल भी है, जहां डॉक्टर मरीजों का मुफ्त इलाज करते हैं।
लाल किले के पास ब्लास्ट में गई थीं 12 जानें
सोमवार शाम दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास विस्फोटकों से लदी कार में जोरदार धमाका हुआ था, जिसमें 12 लोग मारे गए और कई घायल हो गए। कार को पुलवामा का रहने वाला डॉक्टर मोहम्मद उमर नबी चला रहा था जो अल-फलाह यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर था। लाल किले के पास यह धमाका जैश-ए-मोहम्मद और अंसार गजवात-उल-हिंद से जुड़े ‘व्हाइट-कॉलर टेरर मॉड्यूल’ के खुलासे के कुछ घंटे बाद हुआ। पुलिस ने इस मामले में 8 लोगों को गिरफ्तार किया था, जिनमें यूनिवर्सिटी से जुड़े तीन डॉक्टर भी शामिल बताए जा रहे थे। इसके साथ ही 2900 किलोग्राम विस्फोटक बरामद किए गए। गिरफ्तार डॉक्टरों में डॉ. मुजम्मिल भी शामिल है, जो अल-फलाह यूनिवर्सिटी में पढ़ाता था।
