नीदरलैंड की राजनीत बड़े बदलावों के करीब है। पूर्व एथलेटिक्स रॉब जेटन नीदरलैंड के पहले गे प्रधानमंत्री बन सकते हैं। उनकी पार्टी ने चुनावों में शानदार जीत दर्ज की है।
एम्सटर्डमः नीदरलैंड की राजनीति में सबसे बड़ा ऐतिहासक बदलाव आने जा रहा है। खिलाड़ी से राजनेता बने रॉब जेटन नीदरलैंड के प्रधानमंत्री बनने के करीब पहुंच गए हैं। अगर ऐसा हुआ तो वह नीदरलैंड के पहले गे प्रधानमंत्री होंगे। 38 वर्षीय जेटन की प
उदारवादी प्रगतिशील पार्टी डी66 ने बड़ी जीत हासिल की है। इससे वह डच (नीदरलैंड) के पहले गे प्रधानमंत्री बनने की राह पर हैं।
जेटन को मिला भारी समर्थन
नीदरलैंड के आम चुनाव में जेटन की उदार-प्रगतिशील पार्टी D66 (Democrats 66) को बड़ी जीत मिली है। इस शानदार जीत के बाद लगभग तय माना जा रहा है कि जेटन नीदरलैंड्स के अगले प्रधानमंत्री होंगे। जेटन बुधवार रात समर्थकों की भीड़ को संबोधित करते हुए कहा कि उनके प्रो-यूरोपियन और प्रो-क्लाइमेट एजेंडे के लिए मिला समर्थन यह दर्शाता है कि डच राजनीति में अतिदक्षिणपंथ का प्रभुत्व अब समाप्त हो गया है । यह पूरे यूरोप को दिखाता है कि मध्य राजनीति अब भी टिक सकती है।
कौन हैं जेटन
रॉब जेटन पूर्व एथलीट रहे हैं और वह खुले तौर पर समलैंगिक थे। राजनीति में आने से पहले वे ProRail नामक रेलवे नेटवर्क में प्रबंधक थे और अपने अर्जेंटीना के साथी व हॉकी खिलाड़ी निकोलास कीनन से सुपरमार्केट में मिले थे। उन्होंने अपनी पार्टी को एक सरल नारे-“हां, यह संभव है” से नया जीवन दिया। जेटन के करीबी उन्हें “वास्तविक आशावादी और व्यवहारिक नेता” बताते हैं, जो विभाजित राजनीति को जोड़ने की क्षमता रखते हैं। रॉब जेटन नीदरलैंड के दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र उडेन नामक शहर में जन्मे थे। वह फुटबॉल और एथलेटिक्स के खिलाड़ी थे। उनके मात-पिता पेशे से शिक्षक थे। पहले जेटन स्पोर्टस क्षेत्र में ही करियर बनाना चाहते थे, लेकिन इसके बाद वह बीच में ही राजनीति में आ गए।
कैसे पहुंचे प्रधानमंत्री बनने के करीब
जेटन को सकारात्मक और व्यवहारिक नेता के रूप में जाना जाता है। वह लोगों से काफी मिलनसार हैं। उनकी इस छवि ने पार्टी को चुनाव में बड़ा फायदा पहुंचाया। उन्होंने कहा, “हमने [गीर्ट] विल्डर्स पर नया अध्याय खोल दिया है।” जेटन का इशारा फ्रीडम पार्टी (PVV) के नेता गीर्ट विल्डर्स की ओर था, जिनकी सरकार सिर्फ 11 महीने में गिर गई थी, जब उन्होंने अपने कठोर एंटी-इमिग्रेशन प्रस्तावों पर विवाद के चलते गठबंधन तोड़ दिया था। इस अनुभव ने मतदाताओं को सबक सिखाया और अब PVV की सीटें घटकर 26 रह गईं, जो D66 के बराबर हैं।
जेटन ने कहा-सबको साथ लाने का समय
चुनाव में पार्टी की भारी जीत के बाद उन्होंने कहा, “अब समय है सबको साथ लाने का। यह सिर्फ D66 के मतदाताओं का नहीं, बल्कि हर उस डच नागरिक का कमाल है, जिसने लोकतंत्र में भाग लेने के लिए मतदान किया।” जेटन की यही सकारात्मक सोच और आशा से भरे शब्दों ने डच राजनीति को एक नई दिशा दी है। अब पूरा देश देख रहा है कि क्या रॉब जेटन सच में कह पाएंगे, “हाँ, हम कर सकते हैं।”
