अनोखी परंपरा: चूल्हे नहीं जलेंगे आज
एक विशेष परंपरा के अनुसार, आज शीतला अष्टमी के दिन मघड़ा गांव सहित आसपास के लगभग एक दर्जन गांवों में चूल्हे नहीं जलाए जाएंगे। इसके लिए ग्रामीणों ने शुक्रवार, सप्तमी तिथि को ही मीठे कुएं के जल से प्रसाद के रूप में भोजन सामग्री तैयार की है, जिसे आज “बसियौड़ा” के रूप में ग्रहण किया जाएगा और परिवार के सदस्यों, सगे-संबंधियों तथा मित्रों के साथ बांटा जाएगा। लोकमान्यता है कि इस दिन चूल्हे जलाने से माता को तकलीफ होती है, जिसका अनिष्ट फल भक्तों को मिल सकता है।
आस्था की अटूट डोर
मेले में आई एक महिला श्रद्धालु ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया की “मैंने यहां आकर बेटी का वरदान मांगा था, जिसे मां ने पूरा किया है। यहां आने वाले हर श्रद्धालु की मनोकामना पूरी होती है।”
सुरक्षा व्यवस्था
भारी भीड़ को देखते हुए दीपनगर पुलिस प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद है। पूरे परिसर की सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जा रही है। स्थानीय जनप्रतिनिधि वार्ड पार्षद के पति जयंत कुमार भी मेले की व्यवस्था की देखरेख में सक्रिय रूप से लगे हुए हैं। इस वर्ष होली के ठीक आठ दिन बाद शीतला अष्टमी का पर्व मनाया जाता है आन मेले का दूसरा दिन है और कल तक श्रद्धालुओं का आगमन जारी रहेगा।