पंजाब सरकार ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह गन्ने को पानी-गहन फसलों के एक व्यवहारिक विकल्प के रूप में बढ़ावा दे। मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब की पहचान हमेशा किसानों के हितों की रक्षा करने और उन्हें सर्वोच्च मूल्य देने की रही है।
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बुधवार को किसानों को बड़ी राहत देते हुए आगामी पेराई सीज़न के लिए गन्ने के दाम में ₹15 प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की घोषणा की। इसके साथ ही गन्ने का नया मूल्य ₹416 प्रति क्विंटल हो गया है। इस बढ़ोतरी के बाद पंजाब देश में सबसे अधिक गन्ना मूल्य देने वाला राज्य बन गया है। पीटीआई की खबर के मुताबिक, आधुनिकीकृत चीनी मिल और को-जनरेशन प्लांट का उद्घाटन करते हुए, मान ने कहा कि पंजाब ने एक बार फिर पूरे देश में गन्ने के लिए सबसे ऊंचा समर्थन मूल्य तय कर मिसाल कायम की है।
उन्होंने कहा कि पंजाब की पहचान हमेशा किसानों के हितों की रक्षा करने और उन्हें सर्वोच्च मूल्य देने की रही है। मान ने उम्मीद जताई कि यह निर्णय खासकर सीमावर्ती जिलों के गन्ना किसानों के लिए अत्यंत लाभकारी होगा, जहां गन्ना आय का प्रमुख स्रोत है।
फसल विविधीकरण को मिलेगा बढ़ावा
मुख्यमंत्री ने कहा कि गन्ना एक उत्कृष्ट वैकल्पिक फसल है, जो पंजाब के फसल विविधीकरण प्रयासों को मजबूत बनाएगा। उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह गन्ने को पानी-गहन फसलों के एक व्यवहारिक विकल्प के रूप में बढ़ावा दे। नई मिल से पुरानी क्षमता से दोगुने से भी अधिक उत्पादन की तैयारी है। 1980 में स्थापित इस मिल की क्षमता की बात करें तो शुरुआत 1,250 TCD से हुई जो 1987 में बढ़कर 2,000 TCD पर जा पहुंच गई।
लेकिन अब क्षेत्र में गन्ने का उत्पादन 80 लाख क्विंटल तक पहुंच गया है, जबकि पुरानी क्षमता सिर्फ 25 लाख क्विंटल प्रति सीज़न पेराई कर पाती थी। इस अंतर को दूर करने के लिए पंजाब सरकार ने मिल का व्यापक आधुनिकीकरण किया। नई मिल की पेराई क्षमता बढ़ाकर 5,000 TCD कर दी गई है, जिससे समय पर और कुशल पेराई सुनिश्चित होगी।
राजस्व में बड़ा इज़ाफा
मान ने बताया कि मिल में सल्फर-रहित प्रीमियम शुगर प्लांट लगाया गया है। 28.5 मेगावाट को-जनरेशन पावर प्लांट शुरू किया गया है, जिसमें से 20 मेगावाट बिजली राज्य बिजली निगम को देने की क्षमता होगी। इससे हर पेराई सीज़न में लगभग ₹20 करोड़ की अतिरिक्त आय होगी, जो मिल की आर्थिक स्थिति को मजबूती देगी। मिल को गन्ना आपूर्ति करने वाले किसानों की संख्या 2,850 से बढ़कर लगभग 7,025 होने की संभावना है। इससे किसानों को दूर स्थित निजी मिलों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा और समय व परिवहन लागत दोनों में बचत होगी।
