कुशेश्वरस्थान पूर्वी. अगलगी में सबकुछ जल जाने के बाद शुक्रवार की सुबह नौ बजे खुले आसमान के नीचे तीन वर्षीया मासूम राधिका जमा भीड़ को अपलक देखती भूख मिटाने के लिए बिस्कुट खा रही थी. बिस्कुट खाने के बाद प्यास बुझाने के लिए पानी ढूंढने लगी. उसे कहीं पानी नहीं मिल रहा था. वहां रखी बाल्टी में झांकती है, पर उसमें पानी नहीं मिलता. इसी बीच एक व्यक्ति की नजर पड़ी और उसने उसे पानी पिलाया. दरअसल जलजला की तरह आग तो शांत पड़ गयी, लेकिन अब उसका कहर विभिन्न रूप में टूटना शुरू हो गया है. ग्रामीणों के अनुसार लगभग 10 से 15 चापाकल अगलगी में बेकार हो गये. वहां का नजारा विभत्स है. जिधर नजर उठती, राख ही राख दिख रही है.अग्निकांड के शिकार परिवारों के अबोध बच्चे रहीपुरा गांव के श्याम सुंदर सिंह व महिशौथ के ब्रजेश चौपाल को बिस्कुट बांटते देख दौड़ पड़े. दूसरी ओर 75 वर्षीया सियावति देवी राख की ढेर फफक कर रो पड़ी. वहीं विमल देवी भी दहाड़ें मारकर रो पड़ी. उसे लोन वाले का किस्ती अदा करने की चिंता खाये जा रही है.
तीन वर्षीया मासूम राधिका जमा भीड़ को अपलक देखती भूख मिटाने के लिए बिस्कुट खा रही थी.
