बांग्लादेश में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। भूकंप से किसी तरह के नुकसान की कोई खबर नहीं है। बांग्लादेश को भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है।
Bangladesh Earthquake: भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। झटके राजधानी ढाका और आसपास के जिलों में महसूस किए गए है। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 4.1 मापी गई है। न्यूज पोर्टल tbsnews.net ने यूरोपियन-मेडिटेरेनियन सीस्मोलॉजिकल सेंटर के हवाले से बताया कि भूकंप लोकल टाइम के हिसाब से सुबह 6:14 बजे आया, जिसका सेंटर नरसिंगडी में 30 किलोमीटर की गहराई पर था।
किसी नुकसान की खबर नहीं
बांग्लादेश में भूकंप की वजह से कोई नुकसान या किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। न्यूज पोर्टल की रिपोर्ट में कहा गया है कि भूकंप की कम गहराई को देखते हुए, ढाका और आसपास के जिलों में रहने वालों को हल्का झटका महसूस हुआ। द डेली स्टार अखबार के मुताबिक, बांग्लादेश में बड़े भूकंप का खतरा है क्योंकि यह तीन टेक्टोनिक प्लेटों इंडियन, म्यांमार और यूरेशियन प्लेटों के जंक्शन पर है।
भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील है ढाका
ढाका को दुनिया के 20 सबसे ज्यादा भूकंप के खतरे वाले शहरों में से एक माना जाता है। यहां बहुत घनी आबादी है और बहुत सारी टूटी-फूटी इमारतें हैं, जिनमें से कई राजधानी के पुराने हिस्से में हैं। इस इलाके में तेज़ भूकंपों का एक लंबा इतिहास रहा है, 1869 और 1930 के बीच पांच बड़े झटके आए थे जिनकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.0 से ज्यादा थी।
बांग्लादेश और विनाशकारी भूकंप
बता दें कि, 12 जून 1897 की दोपहर भारत के असम क्षेत्र में 8 से ऊपर की तीव्रता का भूकंप आया था। इसका केंद्र असम के खासी पर्वतों के पास था, लेकिन बांग्लादेश जो उस समय ब्रिटिश भारत का हिस्सा था, में इसका प्रभाव सबसे ज्यादा महसूस किया गया थे। इसे बांग्लादेश के इतिहास का सबसे बड़ा और सबसे विनाशकारी भूकंप माना जाता है। इस भूकंप की रिक्टर पैमाने पर तीव्रता लगभग 8.1 मानी जाती है। आज के समय में इतने बड़े भूकंप को ग्रेट अर्थक्वेक की श्रेणी में रखा जाता है। भूकंप की वजह से बांग्लादेश में कई स्थानों पर जमीन तक फट गई थी।
हजारों लोगों की हुई थी मौत
1897 में आए भूकंप की वजह से बांग्लादेश में उस समय भवनों, पुलों और सड़कों को भारी नुकसान हुआ था। सिलहट, मयमनसिंह, ढाका और चिटगांव में हजारों मकान ढह गए थे। उस समय आधिकारिक जनहानि का आंकड़ा सीमित था, लेकिन माना जाता है कि भूकंप की वजह से हजारों लोगों की जान गई थी और लाखों प्रभावित हुए थे।
